रदरफोर्ड का a - कण प्रकीर्णन प्रयोग ( Rutherford model of atom )
रदरफोर्ड का a - कण प्रकीर्णन प्रयोग, कमियाँ - नमस्कार दोस्तो! स्वागत है आपका RDN Notes ब्लॉग में। तो आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है “रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल” के बारे में। and प्रयोग, कमियाँ and बने रहिये इस Article में और जानिए पूरे Details में।
इस धारणा को उन्होंने सन् 1911 मे प्रकाशित किया था । उन्होंने यह देखा कि जब स्वर्णधातु के अत्यन्त पतले पत्तरो (0.00001 सेमी. या 100 nm ) पर किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ से प्राप्त a - कणों से आधात किया जाता है, तब निम्नलिखित परिणाम प्राप्त होते हैं।
(1) बहुत से a-कण पत्तर के आर-पार सीधी रेखा मे चले जाते है।
(2) कुछ कण अपने पूर्व-पथ से विक्षेपित हो जाते है।
(3) लगभग 20000 में से एक रq अपने चलने वाले पूर्व मार्ग पर ही वापस लौट आता है।
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल मे कमियाँ
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में यह परिकल्पना की गई थी,कि ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और ग्रहों के भांति स्थिर कक्षा में परिभ्रमण करते है । परंतु चिरसम्मत विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त के आधार पर क्लार्क एवं मैक्सवेल ने बतलाया कि जब विद्युत आवेश को त्वरण प्रदान किया जाता है तब यह विकिरण उत्सर्जित करता है जिससे ऊर्जा का क्षय होता है।
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