लेजर क्या है ? इसका सिद्धांत और प्रकार

जल की कठोरता क्या है? प्रकार - नमस्कार दोस्तो! स्वागत है आपका RDN Notes ब्लॉग में। तो आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है “लेजर” के बारे में। and लेजर क्या है ? इसका सिद्धांत और प्रकार and बने रहिये इस Article में और जानिए पूरे Details में। 

{getToc} $title={Table of Contents}

LASER शब्द Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation का संक्षिप्त रूप है। यह विकिरण के उद्दीपित उत्सर्जन द्वारा प्रकाश के प्रवर्धन के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह अन्य प्रकाश स्त्रोतों जैसे- बिजली के बल्ब, ट्यूब लाइट और लैम्प के समान है। कुछ अद्वितीय गुण इसे विशेष स्त्रोत बनाते हैं। यह एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा तीव्र, एकवर्णी, समान्तरित तथा उच्च कोटि का कला सम्बद्ध प्रकाश उत्पन्न होता है। 

लेजर क्या है ? इसका सिद्धांत और प्रकार


सामान्य प्रकाश स्त्रोतों की तुलना में लेजर प्रकाश निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है -

(1) लेजर प्रकाश स्त्रोत, अति उच्च कोटि का सुसंगत प्रकाश (very high degree of coherent light) अर्थात् समान कला एवं समान आवृत्ति का प्रकाश उत्पन्न करता है, जबकि साधारण प्रकाश स्त्रोत (जैसे - तप्त तन्तु लैम्प असुसंगत प्रकाश (incoherent light) उत्पन्न करते हैं।

(2) लेजर किरण पुंज (laser beam) उच्चतर कोटि की एकवर्णीय (monochromatic) होती है जबकि साधारण प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 100 Å से 1000 Å के मध्य विस्तारित होती है।

(3) लेजर किरणों की तीव्रता (intensity) अति उच्च होती है जबकि साधारण प्रकाश की तीव्रता दूरी के साथ बहुत तेजी से कम होती है।

(4) लेजर किरणें अपने मार्ग से विचलित नहीं होती हैं, जबकि साधारण प्रकाश दूरी के साथ फैलता रहता है।

लेजर युक्ति ठोस अवस्था भौतिकी (solid state physics) में होने वाले अनुसंधानों की देन है।

यह एक अत्यन्त आधुनिक विधि है जिसके द्वारा एकवर्णी (monochromatic) कला सम्बद्ध (coherent) तथा अत्यधिक तीव्रता (intense) का प्रकाश प्राप्त किया जाता है अर्थात् लेजर वह युक्ति है जिसके द्वारा एक तीव्र, एकवर्णी, समान्तर तथा कला सम्बद्ध प्रकाश पुंज प्राप्त किया जाता है। साधारण प्रकाश में सभी तरंगदैर्ध्य के विकिरण होते हैं जबकि लेजर एकवर्णी होता है। इसमें प्रकाश का उत्सर्जन एक ही परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के उत्तेजित स्तरों (excited levels) से मूल स्तरों में विकिरणात्मक संक्रमण के कारण होता है।

सिद्धान्त (Principle) - 

सामान्यतः किसी पदार्थ के परमाणु अपनी मूल ऊर्जा अवस्था (ground energy state) में होते हैं। जब पदार्थ को किसी ऊर्जा स्त्रोत द्वारा ऊर्जा प्रदान की जाती है तब परमाणु ऊर्जा अवशोषित करके उच्च अवस्था में चले जाते हैं। इस क्रिया को उत्तेजन (excitation) कहते हैं तथा परमाणु की यह उच्च ऊर्जा अवस्थ उत्तेजित अवस्था कहलाती है। उत्तेजित अवस्था में परमाणु केवल 10 सेकण्ड तक रुकता है, उसके बाद यह परमाणु फिर से फोटॉन के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित करके अपनी मूल ऊर्जा अवस्था पर लौट आते हैं। इस प्रक्रिया को उत्सर्जन (emission) कहते हैं। अतः परमाणु का दो ऊर्जा अवस्थाओं के मध्य संक्रमण होने पर उन ऊर्जा अवस्थाओं के ऊर्जा अन्तर के संगत फोटॉन उत्सर्जित या अवशोषित होते हैं। 

यदि E1 एवं E2 क्रमशः मूल अवस्था तथा उत्तेजित अवस्था की ऊर्जायें हैं तब परमाणु की उत्तेजित अवस्था में मूल अवस्था में संक्रमण होने पर उत्सर्जित प्रकाश फोटॉन की आवृत्ति v होगी। 

E₁-E2 = hv       जहाँ, h प्लांक नियतांक है। 

लेजर के प्रकार ( types of laser )

लेजर के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) ठोस अवस्था लेजर (Solid State Laser) - 

इस लेजर में उच्च घनत्व का लेजिंग पदार्थ उपयोग किया जाता है, जिसको ठोस मेट्रिक्स के रूप में वितरित किया जाता है। इस प्रकार के लेजर में क्रियाशील पदार्थ काँच के स्फटिक प्रकार का पदार्थ होता है जिसको क्रोमियम (CP3+ ), नियोडिमियम (Na3+ ) आदि से यथोचित मात्रा में डोप (dope) किया जाता है। 
रूबी लेजर, Nd-YAG, Nd-glass आदि इस श्रेणी में आने वाले लेजर हैं।

(2) गैस लेजर (Gas Laser) - 

इस प्रकार के लेजर में माध्यम के रूप में गैस का उपयोग किया जाता है। प्रयुक्त लेजिंग पदार्थ के आधार पर गैस लेजर को परमाण्विक, आयनिक, आण्विक आदि श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। गैस लेजर में, गैस माध्यम द्वारा ac या dc वैद्युत का विसर्जन किया जाता है जिसके कारण माध्यम में प्रकाश उत्पन्न होता है। हीलियम तथा हीलियम-नियॉन (He-Ne) सर्वाधिक प्रचलित गैस लेजर हैं।

(3) द्रव या डाई लेजर (Liquid or Dye Laser) -

इस प्रकार के लेजर में किसी द्रावक (solvent) में घुले हुए रंगीन मिश्रण को क्रियाशील पदार्थ के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस लेजर में उपयोग किये जाने वाले सामान्य पदार्थ कॉपर, क्रोमियम, रंगने वाले पदार्थ, धात्विक लवण आदि हैं। इस लेजर में पम्पन (pumping) प्रक्रिया किसी प्रकाशिक स्त्रोत से की जाती है। लेजर की इस श्रेणी में सामान्यतः उपयोग किये जाने वाले रंगने के पदार्थ रोडैमीन- 6G (rhodamine-6G), जैन्थीन्स (xanthenes), पॉलिमिथाइन (polymethine) आदि हैं।

(4) अर्द्धचालक लेजर (Semiconductor Laser) – 

इस प्रकार के लेजर में किसी - अर्द्धचालक को क्रियाशील पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। यह लेजर आकार में बहुत छोटे एवं अत्यन्त विश्वसनीय होते हैं। इस प्रकार के लेजर से उच्च शक्ति या कम शक्ति उत्पन्न की जा सकती है। सर्वप्रथम 1962 में इस श्रेणी के अंतर्गत गैलियम-ऑर्सेनाइड (Ge-As) लेजर विकसित किये गये थे।


लेजर क्या है ? इसका सिद्धांत और प्रकार Hindi Me का आर्टिकल कैसा लगा।आप नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।या किसी प्रकार का Suggestion देना भी चाहते है तो आप नीचे Comment Box में अपनी राय हमारे साथ Share कर सकते है| 

आगे भी ऐसी ही Education जानकारियां लेने के लिए हमारे वेबसाइट rdnnotes.in को visit करे ताकि हर नयी और Education जानकारी सबसे पहले आप तक पहुचें। धन्यवाद 


इसे भी पढ़ें 👇👇👇 





Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.